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लेखनी कहानी -05-Feb-2023 एक अनोखी प्रेम कहानी

भाग 6 

रात में खाना खाने के बाद शिव नीचे ही बैठ गया । गीता देवी ने कहा "बेटा, आज कुछ सत्संग हो जाये" 
"क्यों नहीं माई , जरूर " 
शिव सोचने लगा कि कौन सा प्रसंग सुनाया जाये । तब उसके दिमाग में राजा भरत का प्रसंग कौंधा । यह प्रसंग कम लोगों ने सुना होगा ऐसा सोचकर उसे सुनाने लगा । 
"भगवत गीता में कहा गया है कि मृत्यु के समय "मति" जहां रमेगी, मनुष्य की गति वैसी ही होगी । अर्थात यदि मनुष्य मृत्यु के समय राम, कृष्ण या नारायण का नाम लेता लेता मर जाये तो उसे भगवत धाम की प्राप्ति होती है । इसमें रत्ती भर भी संशय नहीं है । और यदि मृत्यु के समय मनुष्य कुत्ते को याद करता है तो वह अगले जन्म में कुत्ता बनता है । यदि अजगर को ध्यान करता है तो वह अजगर बनता है । इसलिए मनुष्य को सदैव राम, कृष्ण या नारायण का जाप करते रहना चाहिए जिससे उसे इसका अभ्यास हो जाये और मृत्यु के समय केवल यही नाम उसके दिमाग में रहें और अंत समय में इन्हें दोहराएं । इस तरह करने से बैकुंठ धाम मिल जायेगा । इसे एक दृष्टांत से समझाता हूं । 
कुरू वंश में राजा भरत बड़े प्रतापी राजा हुए थे । ये वही भरत हैं जिनके नाम से भारत का नाम "भारत" पड़ा । ये दुष्यंत और शकुन्तला के वही पुत्र हैं जो बचपन में शेरों के साथ खेलते थे । "हम भारत के भरत खेलते शेरों की संतान से । कोई देश नहीं दुनिया में बढकर हिन्दुस्तान से" । 
ये बड़े वीर, प्रतापी, विद्वान, बुद्धिमान, दयालु और प्रजा हितैषी राजा थे । इनका नाम चारों ओर विख्यात था । एक दिन जब ये शेर के शिकार पर निकले तो इन्होंने देखा कि एक बाघ एक हिरनी के पीछे दौड़ रहा है । वह हिरणी गर्भवती थी और उसके बच्चा होने वाला था । वह अपनी जान बचाने के लिए पूरी ताकत से भाग रही थी । इस कारण उसका बच्चा उसकी कोख से नीचे गिर गया । हिरनी भी नदी में गिर पड़ी और मर गई । राजा भरत ने जब यह दृश्य देखा तो उसने एक बाण से बाघ का क्म तमाम कर दिया और हिरनी के उस नवजात बच्चे को उठा लिया । वह जीवित था । राजा भरत उसे अपने महल में ले आया और उसका पुत्रवत लालन पालन करने लगा । 

राजा भरत को उस हिरन के बच्चे से बहुत ज्यादा लगाव हो गया था । आते जाते , खाते पीते, सोते जागते बस उसी का ध्यान करता था वह । जब राजा भरत का अंत समय आया तब इनके दिमाग में आदत के अनुसार उस हिरन का ही ध्यान आया । इसका प्रभाव यह हुआ कि राजा भरत को अगली योनि हिरन की मिली । 

पर चूंकि राजा भरत के पुण्य बहुत अधिक संचित थे इसलिए उसे अपने पिछले जन्म की समस्त बातें याद रह गई और उसे यह भी याद रहा कि उसे हिरन योनि क्यों मिली थी । राजा भरत में तपस्या का बल बहुत अधिक था । उसने सोचा कि हिरन योनि में रहकर उससे पाप कर्म न हो जायें इसलिए उसने अपने तप के बल पर अपने प्राणों को सूर्य चक्र में लाकर अपनी देह त्याग दी । 

अगली बार वह फिर से मनुष्य बन गया । इस बार वह बहुत ज्यादा बलिष्ठ और सुंदर बना मगर वह एक गरीब घर में पैदा हुआ । उसे पता था कि उसे क्या करना है इसलिए वह पुण्य के ही कार्य करता था । अपनी चीजों को दूसरों को दे देना । हर किसी की मदद करना । आदि आदि । उसकी इस आदत से उसके घरवाले बहुत परेशान हो गये । वैसे तो उसका नाम भरत था पर उसकी मूर्खताओं के कारण लोग उसे "जड़ भरत" कहने लगे । घरवालों ने उसे अपने खेतों पर पक्षी भगाने के काम पर लगा दिया । 

पर जड़ भरत तो ज्ञानी था कोई मूर्ख नहीं था । वह समस्त पक्षियों को भगाने के बजाय उन्हें बुला बुलाकर कहता 
रामजी की चिड़िया रामजी का खेत 
चुगो री चिड़िया भर भर पेट ।। 

जब उसके घरवालों ने देखा कि यह तो रही सही फसल भी बरबाद कर रहा है तो उसे घर से निकाल दिया । जड़ भरत घूमते घूमते एक शहर में आ गया । उस शहर में देवी मां की बलि दी जानी थी । लोग एक ऐसे मनुष्य की तलाश कर रहे थे जिसकी बलि दी जा सकती हो । जड़ भरत से बढिया व्यक्ति और कौन हो सकता था ? एक बलिष्ठ, सुंदर युवक की बलि से देवी मां प्रसन्न होंगी, यह सोचकर लोगों ने जड़ भरत को पकड़ लिया । जड़ भरत ने कहा "मैं तो खुद तैयार हूं बलि के लिए । मुझे पकड़कर ले जाने की आवश्यकता नहीं है "। 
ऐसा कहकर उसने खुद को छुड़ा लिया और बलि के लिए उन लोगों के साथ चलने लगा । जब देवी मां के सामने उसकी बलि दी जाने लगी तो देवी मां मूर्ति फाड़कर प्रकट हुईं और कहने लगी "इसको मुक्त कर दो । यह व्यक्ति भगवान का परम भक्त है । यह तो पुण्यातमा है इसलिए इसकी बलि नहीं दी जा सकती है" । फिर जड़ भरत को बैकुंठ धाम प्राप्त हो गया । इस प्रकार इस दृष्टांत से यह सिद्ध होता है कि मृत्यु के समय जिस चीज , मनुष्य या भगवान को याद करते हैं उसी के अनुरूप गति होती है" । 

इस सत्संग से गीता देवी बहुत प्रसन्न हुईं और बोली "बेटा, अभी तो तुम 27-28 साल के ही हो, तुम्हें इतना ज्ञान कैसे है" ? 
"ईश्वर जिस पर कृपा करते हैं माई, उसे सब कुछ दे देते हैं । सब उन्ही की कृपा है" शिव ने सपना की ओर देखा । सपना की आंखों में घोर आश्चर्य के भाव थे । एक इंजीनियर भारतीय दर्शन का इतना बड़ा ज्ञाता भी होगा, ये उसे पता नहीं था । सपना और शिव के बीच कभी आध्यात्म पर चर्चा ही नहीं हुई । प्यार की बातों से फुरसत मिले तो अन्य विषयों पर बात करें और प्यार तो ऐसा विषय है कि जब प्रारंभ होता है तो समाप्त होने का नाम ही नहीं लेता है । आज के सत्संग से गीता देवी के मन में विश्वास बैठ गया कि शिव कोई "ढोंगी बाबा" नहीं है । 

सत्संग समाप्त होने के बाद शिव खाना खाकर अपने कक्ष में आ गया । रात में सपना भी आ गयी । दोनों प्यार की हसीन वादियों में खो गये । आधी रात से ज्यादा का समय हो गया था तो जाते हुए सपना बोली 
"कल 'किस डे' है । क्या खास करोगे" ? 
"अभी तो कुछ सोचा नहीं है । किस डे है तो किस ही करेंगे । अभी तक को अधरों पर ही करने का विचार था पर अब विचार बदल गया है" शिव शरारत से बोला 
"बदमाश ! पूरे शैतान हो । जब देखो तब शरारत ही सोचते रहते हो । और कुछ भी सोचा करो" सपना झूठमूठ के घूंसे बरसाने लगी । 
"आप हैं ही इतनी हसीन कि आपके अलावा और कुछ सूझता ही नहीं है" 
"ठीक है, मेरे बारे में सोचो पर अच्छा अच्छा सोचो" सपना उसकी ओर अर्थ भरी नजरों से बोली 
"अच्छा ये बताओ , हमने गलत क्या सोचा" शिव ने उसे फिर फंसा दिया था 

सपना शिव से बातों में जीत नहीं सकती थी , यह बात वह जानती थी । इसलिए जब भी वह फंसती थी तब बचने के लिए वह विषय बदल देती थी । यही चाल चलते हुए वह बोली "कल कुछ खास करके दिखाओ तो जानें" ? 
"हुक्म करो, जान दे दें" ? 
"ऊं हूं । अगर तुम जान दे दोगे तो फिर मैं जी कर क्या करूंगी ? तुम तो ऐसा करो कि कल सार्वजनिक रूप से मुझे किस करके दिखाओ । बोलो मंजूर है" ? 
शिव कुछ सोचते हुए बोला "मंजूर है । मगर हमारा ईनाम" ? 
सपना सोचते हुए बोली "ठीक है । जो चाहो वह मंजूर है । अब तो खुश" ? 
शिव को आश्चर्य हुआ कि सपना मान कैसे गई ? उसके अधरों पर मुस्कान खेल गई  "ठीक है सपना डार्लिंग । तुम्हारा यह वचन मेरे लिए एक ब्लैंक चैक है , बाद में कैश कर लूंगा" शिव सपना को बांहों में भरकर बोला । 

इस तरह वे दोनों अलग हुए । अगले दिन शिव ने गीता देवी से कहा "माई, पास के शहर में शंकर भगवान का बहुत प्रसिद्ध मंदिर है । अगर आप अनुमति दें तो मैं और सपना देख आयें उसे" ? 
"हां , देख आओ । खाना खाकर जाना" 
"जी, ठीक है" शिव ने गीता देवी के पैर छू लिये । 

शिव ने सपना को तैयार होने को कह दिया । सपना को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मां उसे ऐसे जाने देगी । दोनों जने उन्मुक्त पंछी की तरह फुर्र से उड़ गये । 

पास के शहर पहुंच कर शिव ने एक ऑटो रुकवाया और कहा "भैया, यहां सबसे अधिक व्यस्त कौन सा चौराहा है" ? 
"चटोरियों का चौराहा" 
"ये क्या नाम है" ? 
"इस चौराहे पर चाट , गोलगप्पों की दुकानें हैं । यहां लड़कियों की भीड़ लगी रहती है । लड़कियों के पीछे लड़के रहते ही हैं इसलिए खूब भीड़ रहती है वहां पर" 
"अच्छा ठीक है । तुम हमें वहां ले चलो" शिव ने कहा 

सपना शिव को आश्चर्य से देख रही थी । शिव क्या गोलगप्पे खिलाने ले जा रहा है ? पता नहीं ? पर उसके आइडियाज बहुत सुंदर होते हैं । 
चौराहे पर पहुंच कर शिव ने सपना से कहा "इससे बढिया सार्वजनिक जगह नहीं हो सकती है । क्यों सपना , सही है ना" ? 
"हां, बिल्कुल सही है । लेकिन पूछ क्यों रहे हो" ? 
"अरे वाह ! खुद ने ही तो चैलेंज किया था कि सार्वजनिक जगह पर किस करके दिखाओ । तो अब तैयार हो जाओ" शिव उसकी आंखों में डूबते हुए बोला 
"ओह माई गॉड" सपना खुशी से चीख उठी । और इसी समय शिव ने उसे बांहों में भरकर एक जोरदार किस कर लिया । जब तक कोई कुछ समझ पाता तब तक वह एक दूसरे ऑटो में बैठ गया और सपना को पकड़कर उसमें बैठा  लिया । उसने ऑटो वाले को शिव मंदिर चलने को कहा । 

सपना शिव से लिपट कर बैठ गई । उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि शिव उसे सार्वजनिक रूप से किस भी कर सकता है । लेकिन शिव ने कर दिखाया था । वह मान गई कि बंदे में दम है । 

क्रमश: 

श्री हरि 
9.2.23 

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6 Comments

अदिति झा

11-Feb-2023 12:19 PM

Nice 👌

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Hari Shanker Goyal "Hari"

11-Feb-2023 10:54 PM

हार्दिक अभिनंदन मैम

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Varsha_Upadhyay

10-Feb-2023 09:20 PM

Nice 👍🏼

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Hari Shanker Goyal "Hari"

10-Feb-2023 11:47 PM

धन्यवाद जी

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Gunjan Kamal

09-Feb-2023 06:56 PM

शानदार भाग

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Hari Shanker Goyal "Hari"

10-Feb-2023 06:14 PM

हार्दिक अभिनंदन मैम 💐💐🙏🙏

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